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Showing posts from November, 2017

जादूगर खेल दिखाता है

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जादूगर खेल दिखाता है अपने कोट की जेब से निकालता है एक सूर्ख फूल और बदल देता है उसे पलक झपकते ही नुकीले चाकू में तुम्हें लगता है जादूगर चाकू को फिर से फूल में बदल देगा पर वो ऐसा नहीं करता वो अब तक न जाने कितने फूलों को चाकुओं में बदल चुका है। जादूगर पूछता है कौन सी मिठाई खाओगे ? वो एक खाली डिब्बा तुम्हारी ओर बढ़ाता है तुमसे तुम्हारी जेब का आखिरी बचा सिक्का उसमें डालने को कहता है और हवा में कहीं मिठाई की तस्वीर बनाता है तुम्हारी जीभ के लार से भरने तक के समय के बीच मिठाई कहीं गुम हो जाती है तुम लार को भीतर घूटते हो कुछ पूछने को गला खंखारते हो तब तक नया खेल शुरू हो जाता है। जादूगर कहता है मान लो तुम्हारा पड़ोसी तुम्हें मारने को आए तो तुम क्या करोगे ? तुम कहते हो , तुम्हारा पड़ोसी एक दयालू आदमी है जादूगर कहता है , मान लो तुम कहते हो , आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ जादूगर कहता है , मान लो मानने में क्या जाता है ? तुम पल भर के लिए मानने को राजी होते हो तुम्हारे मानते ही वह तुम्हारे हाथ में हथियार देकर कहता है इससे पहले कि वो तुम्हें मारे , तुम उसे म

‘लोक’ की भाषा और संस्कृति को समर्पित किरदार

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ब्यालि उरडी आई फ्योंली सब झैड़गेन/किनगोड़ा , छन आज भी हंसणा...। बर्सु बाद मी घौर गौं , अर मेरि सेयिं कुड़ि बिजीगे...। जंदरि सि रिटणि रैंद , नाज जन पिसैणि रैंद..। परदेश जैक मुक न लुका , माटा पाणी को कर्ज चुका..। इन रचनाओं को रचने वाली शख्सियत है अभिनेता , कवि , लेखक , गजलकार , साहित्यकार मदनमोहन डुकलान। जो अपनी माटी और दूधबोली की पिछले 35 वर्षों से सेवा कर रहे हैं। 10 मार्च 1964 को पौड़ी जनपद के खनेता गांव में श्रीमती कमला देवी और गोविन्द राम जी के घर मदन मोहन डुकलान का जन्म हुआ था। जब ये महज पांच बरस के थे , तो अपने पिताजी के साथ दिल्ली चले गए। इन्होंने 10 वीं तक की पढ़ाई दिल्ली में ग्रहण की। जबकि 12 वीं देहरादून से और स्नातक गढ़वाल विश्वविद्यालय से। बेहद सरल , मिलनसार स्वभाव और मृदभाषी ब्यक्तित्व है इनका। जो एक बार मुलाकात कर ले जीवनभर नहीं भूल सकता है इन्हें। क्योंकि पहली मुलाकात में ये हर किसी को अपना मुरीद बना देते हैं। यही इनकी पहचान और परिचय है। बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी मदन मोहन डुकलान अपने पिताजी के साथ जब दिल्ली आये , तो उसके बाद उनका अपने गांव और पहाड़

17 साल बाद भी क्यों ‘गैर’ है ‘गैरसैंण’

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गैरसैंण एकबार फिर से सुर्खियों में है। उसे स्थायी राजधानी का ओहदा मिल रहा है ? जी नहीं! अभी इसकी दूर तक संभवनाएं नहीं दिखती। सुर्खियों का कारण है कि बर्तज पूर्ववर्ती सरकार ही मौजूदा सरकार ने दिसंबर में गैरसैंण में एक हफ्ते का विधानसभा सत्र आहूत करने का निर्णय लिया है। जो कि सात से 13 दिसंबर तक चलेगा। विस सत्र में अनुपूरक बजट पास किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। तो दूसरी तरफ गैरसैंण पर सियासत भी शुरू हो गई है।  कांग्रेस और यूकेडी नेताओं ने जहां भाजपा सरकार की नियत पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं, वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी ‘ जनभावनाओं ’ के अनुरूप निर्णय लेने की बात को दोहरा भर दिया है। दरअसल , उत्तराखंड के पृथक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने से अब तक गैरसैंण के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा का अतीत सवालों में रहा है। दोनों दल उसे स्थायी राजधानी बनाने के पक्षधर हैं , ऐसा कभी नहीं लगा। यूकेडी ने राज्य आंदोलन के दौरान गैरसैंण को पृथक राज्य की स्थायी राजधानी बनाने के संकल्प के तहत जरूर उसे वीर चंद्रसिंह गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर का नाम दिया। लेकिन बीते 17

उत्तराखंड में एक और फूलों की घाटी ‘चिनाप’

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विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी से तो हर कोई परिचित है। लेकिन इससे इतर एक और फूलों की जन्नत है चिनाप घाटी। जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को जानकारी होगी। सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ ब्लाक में स्थित है कुदरत की ये गुमनाम नेमत। जिसका सौंदर्य इतना अभिभूत कर देने वाला है कि देखने वाला इसकी सुंदरता से हर किसी को ईर्ष्या होने लगे। गौरतलब है ये घाटी चमोली के जोशीमठ ब्लाक के उर्गम घाटी , थैंग घाटी व खीरों घाटी के मध्य हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर 300 से अधिक प्रजाति के फूल बेपनाह सुंदरता और खुशबू बिखेरे रहते हैं। पुराणों में भी इसकी सुंदरता और खुशबू के बारे में वर्णन है। जिसमें कहा गया है कि यहां के फूलों की सुंदरता व खुशबू के सामने बद्री नारायण और गंधमान पर्वत के फूलों की सुंदरता व खुशबू न के बराबर है। वैसे इस घाटी की सुंदरता 12 महीने बनी रहती है। लेकिन खासतौर पर जुलाई से लेकर सितंबर के दौरान खिलने वाले असंख्य फूलों से इस घाटी का अविभूत कर देने वाला सौंदर्य बरबस ही हर किसी को अपनी ओर खींचने को मजबूर कर देता है। इस घाटी