Posts

Showing posts from September, 2017

दोस्तों की जुगलबंदी ने दिखाई रोजगार की राह

Image
  उत्तराखंड को प्रकृति ने बेपनाह सौंदर्य से लकदक किया है। हरसाल हजारों लोग इसी खूबसूरती के दीदार को यहां पहुंचते हैं। विश्व विख्यात फूलों की घाटी , हिमक्रीड़ा स्थल औली , झीलों की नगरी नैनीताल , पहाड़ों की रानी मसूरी , मिनी स्विट्जरलैंड पिथौरागढ़ , कौसानी आदि के बाद सैलानी जब चोपता-दुग्लबिटा पहुंचते हैं , तो कश्मीर जैसी यहां की सुंदरता को देखकर अवाक रह जाते हैं। उन्हें विश्वास नहीं होता , कि वाकई उत्तराखंड में कोई जन्नत है। यही कारण है कि रुद्रप्रयाग जनपद में चोपता-दुग्लबिटा आज देश विदेश के सैलानियों की पहली पसंद बन गया है। प्रचार प्रसार और सुविधाओं के अभाव के चलते एक दशक पहले तक यहां गिने चुने पर्यटक ही पहुंचते थे। जिन्हें जानकारी भी थी , वह भी यहां जाने से कतराते थे। मगर , इस जगह को लाइमलाइट में लाने के लिए 2007 में दो दोस्तों ने हिमालय जैसे हौसले के साथ पहल की। वह थे रुद्रप्रयाग अंतर्गत उखीमठ ब्लाक के किमाणा गांव के भारत पुष्पवान और चमोली गोपेश्वर के मनोज भंडारी। गोपेश्वर में अचानक मुलाकात के दौरान भारत ने मनोज से चोपता-दुग्लबिटा में ईको टूरिज्म पर चर्चा की। विचार विमर्श के ब

अगर हम किताबें नहीं पढ़ेंगे...

Image
जो लोग किताबें नहीं पढ़ते , वे अंततः राम-रहीम को जन्म देते हैं। हमारे समाज में राम-रहीम पैदा होते हैं , क्योंकि हम किताबों को सिर्फ नौकरी पाने के लिये पढ़ते हैं। हम अगर किताब पढ़ेंगे तो हमारे आसपास राम-रहीम जन्म नहीं ले पायेंगे। हम अगर किताब पढ़ेंगे तो लालबहादुर शास्त्री और माणिक सरकार जैसे नेताओं को जन्म देंगे। अगर हम किताब पढ़ेंगे तो धर्म और राजनीति का घालमेल नहीं होने देंगे। लफ्फाजों के बहकावे में नहीं आयेंगे। हम अगर किताब पढ़ेंगे तो भ्रष्टाचार खत्म होने लगेगा। हम अगर किताब पढ़ेंगे तो सही के लिए लड़ने लगेंगे। हम अगर किताब पढ़ेंगे तो उदार और मानवीय बनते जायेंगे। हमारे दुःख और भ्रम दूर होते जायेंगे। हम अगर अच्छी किताबें पढ़ेंगे तो अपने भारत को श्रेष्ठ बना सकेंगे। हम अगर किताब नहीं पढ़ेंगे तो हमारे आसपास गुस्से और नफरत से भरे हुए लोग बढ़ते चले जायेंगे और हम फिजूल में छोटी-छोटी बातों में लड़ने लगेंगे। हम अगर किताब नहीं पढ़ेंगे तो घृणा और दुश्मनी की बात करने लगेंगे। हम अगर अच्छी किताबें नहीं पढ़ेंगे तो लोगों को मारने लगेंगे। हम अगर किताब नहीं पढ़ेंगे तो प्रेम , करुणा की बात करने वालों से नफरत

अस्पताल

Image
सुविधा त सबि छन यख अजगाल अस्पताल मा डागटर च दवे च कंपौंडर च यख तक कि नर्स अर आया भि च पर हां ! इतगा जरूर च कि जब डागटर रैंद तब दवे नि रैंदी अर जब दवे रैंद , त तब कम्पौंडर रैंद/ कपाळ पखड़ि बैठ्यूं अफ्फुई म्वन्नु रैंद जैर्ल त हौरूं कि क्य स्वचण वेन बक्कि नर्स अर आया कु क्य ब्वन वो त भग्यान कन हि लगीं छन अपणी नौकरी/ ये दुर्गम इलका मा। आशीष सुन्दरियाल

खाली होते गांवों से कैसे बचेगा हिमालय !

Image
पलायन रोकने की न नीति न प्लान ,  तो फिर हिमालय दिवस पर कोरे संकल्प क्यों ? उत्तराखंड में हाल में ‘ हिमालय को बचाने ’ पर केंद्रित जलसे जोश ओ खरोश से मनाए गए। सरकार से लेकर एनजीओ , सामाजिक संगठनों , स्कूली छात्रों , सरकारी , गैर सरकारी कार्मिकों , पर्यावरणविदों और धर्मगुरुओं की चिंता , चिंतन , शपथ , संकल्प अपने पूरे शबाब पर रहे। एसी होटल , कमरों से लेकर स्कूलों के प्रांगण , सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में शपथ (संकल्प) लेते चित्र अगले दिन के अखबारों में ‘ निखर ’ कर सामने आए। हिमालय दिवस के आयोजनों से एकबारगी ऐसा लगा कि अब हिमालय को बचाने का विचार निश्चित ही अपनी परिणिति तक पहुंच जाएगा। मगर , यह क्या ? तय तारीखें बीतते ही सूबे में सब कुछ पहले जैसे ढर्रे पर चल निकला। तो क्या हिमालय को सिर्फ आठ नौ दिन ही बचाना था , उससे पहले या उसके बाद हिमालय को बचाने की जरूरत ही नहीं ?  दरअसल , हिमालय को बचाने की फिक्र तो की जा रही है , परंतु हिमालय को किस तरह से खतरा है , उसके समाधान क्या हैं , इस पर सिर्फ बातें ही बातें हो रही हैं। कौन , कब से उन रास्तों पर आगे बढ़ेगा , क्या रोड मैप होग

उत्तराखंड की जांबाज बेटियां विश्व परिक्रमा को रवाना

Image
उत्तराखंड की दो जांबाज बेटियां लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी और पायल गुप्ता भारतीय नौसेना के बेहद महत्वपूर्ण मिशन ‘ नाविक सागर परिक्रमा ’ के लिए रवाना हो गई हैं। नौसेना के छह सदस्यीय नाविक दल की सदस्य ये दो बेटियां , अगले छह महीने में लगभग 22 हजार नॉटिकल मील की समुद्री दूरी नापते हुए पृथ्वी का चक्कर पूरा करेंगी। सागर परिक्रमा का यह मिशन 17 मीटर लंबी नौका ‘ आईएसएनवी तारिणी ’ में पूरा किया जाएगा। नौका पूरे यात्राकाल में चार बंदरगाहों पर इंधन के लिए रुकेगी। रविवार दोपहर ढाई बजे गोवा में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर भी मौजूद थे। खासबात कि नाविक दल का नेतृत्व उत्तराखंड की बेटी वर्तिका जोशी कर करी हैं। वर्तिका ने बताया कि गोवा से शुरू यह अभियान आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड , फॉकलैंड होते हुए वापस गोवा में ही पूरा होगा। इस दल में प्रदेश की दो बेटियों का शामिल होना उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय है। टीम में वर्तिका और पायल के अलावा लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल , पी स्वाति , लेफ्टिनेंट एस विजया देव

स्वैच्छिक चकबंदी और बागवानी के प्रेरक बने ‘भरत’

Image
उत्तरकाशी जिले के नौगांव विकासखंड अंतर्गत हिमरोल गांव के भरत सिंह राणा अपने क्षेत्र में लोगों को स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित कर मिसाल बन रहे हैं। जगह-जगह बिखरे खेतों की चकबंदी कर विभिन्न प्रजाति के फल पौधों का रोपण किया , पॉली हाउस , ड्रिप एरीगेशन , पाइप लाइन , दो सिंचाई हौजों का निर्माण करके बागवानी शुरू की है। एक और जहां भरत सिंह लोगों को स्वैच्छिक चकबंदी के लिए प्रेरित कर रहे हैं , तो वहीं दूसरी ओर कृषि बागवानी के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं। उन्होंने बंजर पड़ी जमीन पर एक हेक्टेयर का चक गांव वालों के साथ ‘ सटवारा ’ करके बनाया है। अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए उन्होंने इस जमीन पर जो कर दिखाया , वह पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इसी एक हेक्टेयर भूमि पर वह पिछले कुछ वर्षों से वैज्ञानिक तरीके से बागवानी , सब्जी उत्पादन , जड़ी-बूटी , सगंधीय पौध , हर्बल चाय , कई प्रकार के फूल , मत्स्य पालन आदि कई तरह के नगदी फसलों की खेती कर रहे हैं। जिसको देखने के लिए भारत के ही नहीं बल्कि इंग्लैंड , नीदरलैंड , नेपाल आदि देशों से भी ग्रुप आते रहते हैं। इसके साथ ही कृषि विभाग के सहयोग

अथ श्री उत्तराखंड दर्शनम्

Image
नेत्र सिंह असवाल // जयति जय-जय देवभूमि , जयति उत्तराखंड जी कांणा गरूड़ चिफळचट्ट , मनखि उत्तणादंड जी। तेरि रिकदूंल्यूं की जै-जै , तेरि मुसदूल्यूं की जै त्यारा गुंणी बांदरू की , बाबा बजि खंड जी। इक मिनिस्टर धुरपिळम् पट , एक उबरा अड़गट्यूं हैंकू खांदम नप्प ब्वादा , धारी म्यारू डंड जी। माट मंग ज्वन्नि व मेंहनत , मोल क्वी नी खेति कू यू बुढ़ापा पिनसन छ , रोग जमा फंड जी। मुंड निखोळू करिगीं बगतळ , ऊ भगत त्यरा तरि गईं जौंकि दुयया जगा टंगड़ी , ऊंकि अकळाकंड जी। दुख दलेदर कष्ट मिटलो , नौनु बूंण जालु जी गांणि-स्याणि-ताणि निशिदिन , रीटिगे बरमंड जी। परदेस अपणू देस अभि भी , अभि भि ‘ देसी ’ ‘ पहाड़ि ’ जी बत्तीस सीढ़ी ‘ कुरदरा ’ की , अभि भि घळचाघंड जी।