कन्फ्यूजिंग प्रश्नों पर चाहूं रायशुमारी
अपने भविष्य को लेकर आजकल बड़ा कन्फ्यूजिया गया हूं। निर्धारण नहीं कर पा रहा हूं , कौन सा मुखौटा लगाऊं। आम- आदमी ही बना रहूं , या आम और आदमी के फेविकोल जोड़ से ‘ खास ’ हो जाऊं। अतीत के कई वाकये मुझे पसोपेस में डाले हुए हैं। कुछ महीने पहले मेरी गली का पुराना ‘ चिंदी चोर ’ उर्फ ‘ छुटभैया ’ धंधे को सिक्योर करने की खातिर ‘ खास ’ बनना , दिखना और हो जाना चाहता था। एक ही सपना था उसका , कि बाय इलेक्शन या सेलेक्शन वह किसी भी सदन तक पहुंच जाए। फिर बतर्ज एजूकेशनल टूर हर महीने ‘ बैंकाक ’ जैसे स्वर्गों की यात्रा कर आए। मगर , कल जब वह नुक्कड़ पर ‘ सुट्टा ’ मारते मिला , तो बोला- दाज्यू अब तुम बताओ यह ‘ आम आदमी ’ बनना कैसा रहेगा ? मैं हतप्रभ। देखा उसे , तो उसमें साधारण आदमी से ज्यादा ‘ आप ’ वाला ‘ आदमी ’ बनने की ललक दिखी , सो कन्फ्यूजिया गया। इसलिए उसे जवाब देने की बजाए मैं ‘ मन-मोहन ’ हो गया। फिर सोचा क्यों न आपके साथ ही चैनलों की ‘ डिबेट ’ टाइप बकैती की जाए। बैठो , बात करते हैं , हम- तुम , इन कन्फ्यूजियाते प्रश्नों पर। आपसे रायशुमारी अहम है मेरे लिए। तब भी फलित न निकला तो एसएमएस , एफबी ,