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कब टूटलि जग्वाळ...
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जुग जन्मूं बिटि छै जग्वाळ ऐंसू आलि बग्वाळ, त म्यरा घौर बोण, गौं गुठ्यार, मुल्क देश बळै जाला रांका, छिल्ला ओणा कोणों तक पौंछलू उज्याळु नि जाणि, जब बि ऐ, ऐ फेक्वाळ सि... हमेसा मांगणा कू, देणो कबि ना... म्यरा अंधेरा दिनूं कू अबि बि जग्वाळ कि, सैद ऐंसू त आलि बग्वाळ् सैद, ऐंसू त ह्वेई जालू उज्याळु सैद, अब नि रैलि जग्वाळ पण, वा आलि कब... यांकि बि त् जग्वाळ च........ कवि- धनेश कोठारी 9412995168