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Showing posts from August, 2012

गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 06

ख्वों न खौं बल चौबटा मा रौं आत्मा बैरि बल गिच्चूा औ खुंड बल म्यारा मुंड असमौ मास बि मळसा का पिंड अर समौ मास बि मळसा का ई पिंड न जौं बिराणि मंडेलि न लौं बल पूंछ गंडेलि उंड फंड्वा बल चुल्ला फुंड अर चुल्ला फुंड्वा उंड फंड दानौं कू ब्व‍ल्यूं अर औंला कू स्वाद बाद मा औंदू बल याद सोरा पैलि त खड्यवन् निथर ठट्टा तब्बि लगावन् तू कोळी बल मैं ल्वार अर तेरु मेरु क्यै ब्यूवार बाटू चिफळु कन्न धारा-धरि जाण परवाण होण जगदी मुच्छया‍ळी पिछनै औंदि स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्य माध्यमूं से संकलित संकलनकर्ता - धनेश कोठारी

गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 05

बंदर बांठी बिराळौं सि लड़ै हौंसिया उमर दानौ हात आटू चौंळ कू भौ जंद्यो खुर्सेण ढ्यबरि टैट अंगुल्या गणत बांजौं बर्खण घाम बरखा स्याळौ कू ब्यौ खौळा सट्टि भोळा ब्यो ब्वारियो सगोर बल सपड़्वका मा ई सट्टि अर मनखि कि जात कैन गणि सकिन् स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्य माध्यंमूं से संकलित संकलनकर्ता - धनेश कोठारी

गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 04

पौणा न्‍यूड़ बल खाणू अर नौना न्‍यूड़ सेणू कजेल्‍न करि बल सर्पै सौर अर वू तणेण तणेण क मौर भैंस्‍यो मोळ बल भैंसी का ई ढमणा ज्‍यूंदा मा नि दे बल मांड अर मोरी खैंडी खांड ब्‍वारि बल धाण नि च त् बळदौ कैनू कन्‍यो बिगर अफ्वू म्‍वर्यां बल स्‍वर्ग नि मिल्‍द रज्‍जा लगि बल भात अर म्‍हैन्‍तै फूटी छत्ति कैकू किल्‍ला घैंट्यां कू भाग कैकू जुड़ु ब्‍वट्यां कू भाग स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्‍य माध्‍यमूं से संकलित संकलनकर्ता - धनेश कोठारी

गढ़वाली कहावतें/लोकोक्तियां 03

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घौड़ा मा ढांग प्वोड़ू या ढांग मा घौड़ू होण घौड़ै कि ई रांड च काठै बिराळी त् मैं बणौलू पण म्याणऊं कू कौरलू मुसा का छन पराण जाणा अयेडि़ बोदी सकून ई नि बण्डि खाणौं जोगी ह्वयों अर पैलि बासा भू‍क्कि रयों रौ-रौ बाबा बल खा-खा न बाबा बल मिन् जोगि होण अड़ै पढ़ै बल जाट सोळा दूणि आट बिच्छियो नि जाण्णअन् मंतर अर सांपै दुंळंयों हात बड़ा बैर्यो बल बड़ू मान बड़ौंन् खैन बल आरु अर छ्वट्टौंन् थेंचिन् थ्वाबड़ा सुबेरौ न्हयूं अर बाबा ब्यावायूं सौंगू होंदू स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्यय माध्यंमूं से संकलित संकलनकर्ता - धनेश कोठारी

गढ़वाळी औखाणा (कहावतें) 02

 सिंग पल्यो ण  कंटर बांधणू  चंद्रैण कन्न‍  सुद्दी कि मुंडाठेल  घोळ मथौळ कन्नूा  हंस ना कागा  गीत लगणा  नौ धरेणा  जोनि जड़ी खाणू  गंगा जी का जौ  थूकै पकोड़ी पकौण  तातू दूद होणू  निद्यो कू बल घट्ट छीजू  बिराळी कू सिखायूं बाग  बिराळा बाग बल कितल्डा नाग  था था थुमि होणू स्रोत- बुढ़ पुराणौं से सुणि अर अन्य माध्यदमूं से संकलित संकलनकर्ता - धनेश कोठारी,

गढ़वाळी औखाणा (कहावतें) 01

Garhwali proverbs and sayings गढ़वाळी औखाणा (कहावतें)  जांदि दा क्यण पुछण औंदि दां पुछलू  बैर्यो बाछरु बल पिजायां सुख  घुटदौं त गिच्चू अर थुक्दौं त अखर्त जांदू  खाणू बल गुड अर बतौण पिन्ना  दाना गोरु क्यर देखण बल सींग अर खूर  सुंगरौ पोथलू बल खारै पाण  गल्ला न पल्ला अर द्वी ब्यौर कर्ला  बड़ा बैरि कू बल बड़ू मान  हुणत्यारळी डाळी का चल चला पात  रांडूं का ह्वेन पांजा अर गौं पड़ीन बांजा  ढुंगा ही कुंगळा होंदा त क्यं सयाळ भूख मर्दा  नौ मण बल नंदू कौंका खौन्    अर ऊंका छांछ मांगणौ जौन  तू बल ठगणि कू ठग अर मैं जाति कू ठग  घूंड-घूंडो फूकेग्यों पण कुल्डा्ण नि आई  ओबरा अड़ायां बल पांडा का सट्ट  जख बल सौ सल्लील वख कबि नि भल्ली  मुंड्डौ नौ बल कपाल  सर्री ढ्यबरी बल मुंडी मांडी अर पुछै दां लराट  अंध्यारै कि मार बल खबर ना सार  आप घोड़ी न बाप घोड़ी बिराणि घोड़ीन् दांत तोड़ी  खायूं पेयूं तन रीझू अर देयूं लेयूं संगति मा जावू  ब्वैं बाबूं क बिगाड़्यां नौ अर चकड़ैतूं का खोयां गौं सुधर्दा निन  सिल्लूप खोवू हैंकै मौ अर तैलू खोवू अपणि  दोण नि सकदों बल बिश्वा