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Showing posts from January, 2012

विरोधाभास के बीच झूलती टीम अन्‍ना

टीम अण्णा का दो दिन का उत्‍तराखण्ड दौरा विरोध , सवाल और शंकाओं से भरा रहा। टीम अण्णा ने हरिद्वार , देहरादून , हल्द्वानी और रूद्रपुर में सभाएं कर केन्द्र सरकार के लोकपाल बिल को कोसा। उत्‍तराखण्ड के लोकायुक्त विधेयक और मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूडी़ की खुद जमकर तारीफ की और लोगों से भी कराई। लगे हाथ कांग्रेस-भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों को भ्रष्ट करार दे दिया। टीम अण्णा ने केन्द्र के लोकपाल बिल की कमजोरियों और उत्‍तराखण्ड के लोकायुक्त विधेयक की खूबियों को लेकर उठे सवालों का जवाब देना गैर जरूरी समझा। उत्‍तराखण्ड के लोकायुक्त विधेयक की खुली हिमायत की वजह जानने की जुर्रत करने वालों का मुंह बन्द कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।  गोकि सवाल करना सिर्फ टीम अण्णा का ही विशेषाधिकार हो। पूरे दौरे के दौरान केन्द्र के लोकपाल और उत्‍तराखण्ड के लोकायुक्त विधेयक को लेकर उठे सवालों से कन्नी काटती टीम अण्णा खुद विरोधाभासों में फॅसी नजर आई। टीम अण्णा ने सभी जगह कमोवेश एक सी बातें दोहराई। टीम के वरिष्ठ सदस्य अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस ही नहीं निशंक सरकार में भी भ्रष्टाचार ह

पहाड़ की जनता के साथ धोखा कर रहे हैं बीसी खडूड़ी

उत्तराखंड की बीजेपी सरकार को.. खंडूड़ी है जरूरी... का एक चुनावी नारा क्या मिला कि उसने इस पहाड़ी राज्य के जनहित के मुद्दों को ही जमीन में दफना दिया है. आज जहाँ पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाली 60 प्रतिशत महिलायें खून की कमी के जूझ रही हों तथा 72 प्रतिशत महिलायें बिना इलाज के किसी न किसी बीमारी को ढोने को मजबूर हों , वहां करोड़ों रुपये के घोटाले हो जाने के बाबजूद मुख्यमंत्री खंडूड़ी ने उन पर एक जांच बैठानी भी जरूरी नहीं समझी. खंडूरी है जरूरी.. इसलिए उनसे कुछ सवाल करने जरूरी हैं.. खंडूड़ी जी ने मुख्यमंत्री काल के दौरान पूरे पहाड़ में घूम-घूमकर निशंक पर प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए लगाए.. तथा इन आरोपों के समर्थन में बीजेपी हाई कमान से लेकर आरएसएस नेताओं तक अपनी बात पहुंचाई. खंडूड़ी द्वारा पेश सुबूतों के आधार पर दिल्ली के नेताओं को अपने चहेते निशंक की बलि देनी पड़ी. राज्य की जनता को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलते ही खंडूड़ी , भ्रष्ट लोगों को सलाखों के पीछे पंहुचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगें. पर कुर्सी मिलते ही खंडूड़ी ने एक रहस्यमय छुपी साध ली.. अब खंडू

मध्य हिमालयी भाषा का तुलनात्मक अध्ययन

मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -6  (गढ़वाली में सर्वनाम विधान) इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है अपितु परदेश में बसे नेपालियों, कुमॉनियों व गढ़वालियों में अपनी भाषा के संरक्षण हेतु प्रेरित करना अधिक है. मैंने व्याकरण या व्याकरणीय शास्त्र का कक्षा बारहवीं तक को छोड़ कभी कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नही की ना ही मेरा यह विषय/क्षेत्र रहा है. अत: यदि मेरे अध्ययन में शास्त्रीय त्रुटी मिले तो मुझे सूचित कर दीजियेगा जिससे मै उन त्रुटियों को समुचित ढंग से सुधार कर लूँगा. वास्तव में मैंने इस लेखमाला को अंग्रेजी में शुरू किया था किन्तु फिर अधिसंख्य पाठकों की दृष्टि से मुझे हिंदी में ही इस लेखमाला को लिखने का निश्चय करना पड़ा . आशा है यह लघु कदम मेरे उद्देश्य पूर्ति हेतु एक पहल माना जायेगा. मध्य हिमालय की सभी भाषाएँ ध्वन्यात्म्क हैं और कम्प्यूटर में प्रत्येक भाषा की विशिष्ठ लिपि न होने से कहीं कहीं सही अक्षर लिखने की दिक्कत अवश्य आ

मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -5

  इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है अपितु परदेश में बसे नेपालियों, कुमॉनियों व गढ़वालियों में अपनी भाषा के संरक्षण हेतु प्रेरित करना अधिक है. मैंने व्याकरण या व्याकरणीय शास्त्र का कक्षा बारहवीं तक को छोड़ कभी कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नही की ना ही मेरा यह विषय/क्षेत्र रहा है. अत: यदि मेरे अध्ययन में शास्त्रीय त्रुटी मिले तो मुझे सूचित कर दीजियेगा जिससे मै उन त्रुटियों को समुचित ढंग से सुधार कर लूँगा. वास्तव में मैंने इस लेखमाला को अंग्रेजी में शुरू किया था किन्तु फिर अधिसंख्य पाठकों की दृष्टि से मुझे हिंदी में ही इस लेखमाला को लिखने का निश्चय करना पड़ा . आशा है यह लघु कदम मेरे उद्देश्य पूर्ति हेतु एक पहल माना जायेगा. मध्य हिमालय की सभी भाषाएँ ध्वन्यात्म्क हैं और कम्प्यूटर में प्रत्येक भाषा की विशिष्ठ लिपि न होने से कहीं कहीं सही अक्षर लिखने की दिक्कत अवश्य आती है किन्तु हम कुमाउंनी , गढवालियों व नेपालियों को इस परेशानी को दूसरे ढंग से सुलझानी होगी ना की फोकट की विद्वता

मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण का तुलनात्मक अध्ययन भाग -4

(इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है अपितु परदेश में बसे नेपालियों, कुमॉनियों व गढ़वालियों में अपनी भाषा के संरक्षण हेतु प्रेरित करना अधिक है. मैंने व्याकरण या व्याकरणीय शास्त्र का कक्षा बारहवीं तक को छोड़ कभी कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नही की ना ही मेरा यह विषय/क्षेत्र रहा है. अत: यदि मेरे अध्ययन में शास्त्रीय त्रुटी मिले तो मुझे सूचित कर दीजियेगा जिससे मै उन त्रुटियों को समुचित ढंग से सुधार कर लूँगा. वास्तव में मैंने इस लेखमाला को अंग्रेजी में शुरू किया था किन्तु फिर अधिसंख्य पाठकों की दृष्टि से मुझे हिंदी में ही इस लेखमाला को लिखने का निश्चय करना पड़ा . आशा है यह लघु कदम मेरे उद्देश्य पूर्ति हेतु एक पहल माना जायेगा. मध्य हिमालय की सभी भाषाएँ ध्वन्यात्म्क हैं और कम्प्यूटर में प्रत्येक भाषा की विशिष्ठ लिपि न होने से कहीं कहीं सही अक्षर लिखने की दिक्कत अवश्य आती है किन्तु हम कुमाउंनी , गढवालियों व नेपालियों को इस परेशानी को दूसरे ढंग से सुलझानी होगी ना की फोकट की विद्वतापूर्

मध्य हिमालयी कुमाउंनी , गढ़वाली एवं नेपाली भाषा-व्याकरण तुलनात्मक अध्ययन

(इस लेखमाला का उद्देश्य मध्य हिमालयी कुमाउंनी, गढ़वाळी एवम नेपाली भाषाओँ के व्याकरण का शास्त्रीय पद्धति कृत अध्ययन नही है अपितु परदेश में बसे नेपालियों, कुमॉनियों व गढ़वालियों में अपनी भाषा के संरक्षण हेतु प्रेरित करना अधिक है. मैंने व्याकरण या व्याकरणीय शास्त्र का कक्षा बारहवीं तक को छोड़ कभी कोई औपचारिक शिक्षा ग्रहण नही की ना ही मेरा यह विषय/क्षेत्र रहा है. अत: यदि मेरे अध्ययन में शास्त्रीय त्रुटी मिले तो मुझे सूचित कर दीजियेगा जिससे मै उन त्रुटियों को समुचित ढंग से सुधार कर लूँगा. वास्तव में मैंने इस लेखमाला को अंग्रेजी में शुरू किया था किन्तु फिर अधिसंख्य पाठकों की दृष्टि से मुझे हिंदी में ही इस लेखमाला को लिखने का निश्चय करना पड़ा . आशा है यह लघु कदम मेरे उद्देश्य पूर्ति हेतु एक पहल माना जायेगा. मध्य हिमालय की सभी भाषाएँ ध्वन्यात्म्क हैं और कम्प्यूटर में प्रत्येक भाषा की विशिष्ठ लिपि न होने से कहीं कहीं सही अक्षर लिखने की दिक्कत अवश्य आती है किन्तु हम कुमाउनी, गढवालियों व नेपालियों को इस परेशानी को दूसरे ढंग से सुलझानी होगी ना की फोकट की विद्वतापू