मेरि पुंगड़्यों


मेरि पुंगड़्यों
हौरि धणि अब किछु नि होंद
पण, नेता खुब उपजदन्
 
मेरि पुंगड़्यों
बीज बिज्वाड़
खाद पाणि
लवर्ति-मंड्वर्ति
किछु नि चैंद
स्यू नाज पाणि
डाळा बुटळा
खौड़ कत्यार तक
किछु नि होंद
पण, नेता खुब उपजदन्
 
मेरि पुंगड़्यों
यू न घामन् फुकेंदन्
न पाळान् अळैंदन्
न ह्यूंद यूं कु ठिणीं
न रूड़्यों यि ठंगरेंदन्
बसगाळ, बिजुग्ति बर्खि बि
यूंकि चाना नि पुरोंद
झाड़-झंक्काड़
हर्याळी का आसार
किछु नि दिखेन्दन्
पण, नेता खुब उपजदन




 











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