ये जो निजाम है
ये जो निजाम है तुझको माफ़ कर देगा खुद सोच क्या तू खुद को माफ़ कर देगा बारिशों में भीग रहा क्यों इस कदर यकीं है तुझे खुद को साफ कर देगा तारीखें बढ़ाना तेरा हुनर हो सकता है अब भी लगता तुझे कि इंसाफ कर देगा अभी भी वक्त संभल गुनाहों की राह से तेरे इज़हार को वह माफ़ समझ लेगा कॉपीराइट - धनेश कोठारी 10 अगस्त 2015