अन्धेरा तू जाग्यूं रौ, भोळ त सुबेर होण ई च। सेक्की तेरि तब तलक, राज तिन ख्वोण ई च॥ आज हैंसी जा जथा हैंसदें, ठट्टा बि लगैकर तू जुगू बटि पैट्यूं घाम, आखिर वेन् औण ई च॥ माना कि यख तुबैं बि, तेरा धड़्वे बिजां होला तब्बि हमुन् उज्याळा कू, हौळ त लगौण ई च॥ ब्याळी कि तरां आज नि, आजै चार भोळ क्य होलू आज माण चा भोळ, तेरा फजितान् त होण ई च॥ तेरा बुज्यां आंखों मा, चा न दिख्यो कुछ न कत्त हत्त खुट्टौन् जलक-जुपै करि घाम त ख्वौज्यौण ई च॥ निराश ऐ उदास रै तू, जब बि मेरि देळ्यी मा बर्सूं का बणबास बाद त, बग्वाळ मनौण ई च॥ कॉपीराइट- धनेश कोठारी