Posts

Showing posts from November, 2010

दारु

Image
दारु ! पगळीं च बगणि च डांडी कांठ्यों धरु-धरु पीड़ बिसरौण कु माथमि, द्यब्तौं सि सारु गंगा उंद बगदी दारु उबां-उबां टपदी पैलि अंज्वाळ् अदुड़ि/ फेर, पव्वा सेर जै नि खपदी हे राम! दअ बिचारु गबळान्दि बाच ढगड्यांदि खुट्टी अंगोठा का मुखारा अंग्रेजी फुकदी गिच्ची कुठार रीता शरेल् पीता ठुंगार मा लोण कु गारु पौंणै बरात मड़्वयों कु सात बग्त कि बात दारु नि हात त क्य च औकात छौंदि मा कु खारु नाज मैंगु काज मैंगु आज मैंगु रिवाज मैंगु दारु बोदा त दअ बै क्य च फारु Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems) Copyright@ Dhanesh Kothari

सौदेर

Image
माया का सौदेर छां हम इन्कलाब जिन्दाबाद बैर्यों बग्तौ चेति जावा निथर होण मुर्दाबाद कथगै अंधेरू होलु हम उज्याळु कैद्योंला भाना कि बिंदुलि मा गैणौं तैं सजै द्योंला हम सणि अळ्झाण कु कत्तै करा न घेरबाड़ हत्तकड़ी मा जकड़ि पकड़ी जेल भेजा चा डरा बणिगेन हथगुळी मुट्ट इंतजार अब जरा लांकि मा च प्रण प्रण लौटा छोड़ा हमरी धद्द क्रांतिकारी भौंण गुंजणी हिमाला कु सजायुं ताज मौळ्यार कि टक्क धरिं च घाम बि जग्वाळ् आज हम सणिं बिराण कु जम्मै न कर्यान् उछ्याद Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems) Copyright@ Dhanesh Kothari

फेक्वाळ्

Image
भुयां खुट्ट धन्नौ जगा नि अंरोंगु कखि छोड़युं नि संगति फैल्यान् सेमा सि फेक्वाळ् धुर्पळा कि पठाळी उठा चौक का तीर जा तिबारि मा ह्‌यूंदौ घाम तपदु रात्यों हुंगरा लगान्द देखा खालि जांद्रा घुमौन्दु बांजा घट्टुं भग्वाड़ि मंगदु खर्ड़ी डाल्यों छैल घाम तपदु रीता उर्ख्याळौं कुटद गंज्याळु सी देखा चम्म सुलार कुर्ता ट्वपली मा मंगत्यों कि टोल बर्खदा बसग्याळ् छुमछ्योंदा अकाळ् दिल्ली का दिलन् देरादुण कु पैसा लुटौंदु देखा संगति फैल्यान्... Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems) Copyright@ Dhanesh Kothari

कौन डरता है खंडूरीराज से ?

क्या भविष्य में भी भारतीय जनता पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भुवनचंद्र खंडूरी के नेतृत्व में दुबारा चुनाव के मैदान में कुद सकेगी ? बाबा रामदेव के दो करोड़ की रिश्वत के खुलासे के बाद शायद यह सवाल उत्तराखण्ड के बहुत से लोगों को मथ रहा होगा।   हालांकि अभी किसी के नाम का खुलासा नहीं हुआ है। हो सकता है कि समय रहते कंट्रोलरों के द्वारा सब कुछ नेपथ्य में धकेल दिया जाय और खुलासे का बुलबुला फूटने से पहले ही सिकुड़ जाये। यहां सवाल यह भी उभरकर सामने आता है कि आखिर खंडूरी राज से किसे डर लगता है। उत्तराखण्ड राज्य के वर्तमान विपक्ष को , पार्टी के ही कुछ सहयोगियों को , नौकरशाहों को , माफिया तंत्र को या फिर बाबा रामदेव को जो अब अपनी राजनीतिक पारी को शुरू करने की जमीन बनाने लगे हैं।   अतीत में इसका कुछ अहसास मिल जायेगा। जब फ्लैश बैक में जाकर उस दिन को देखा जाय , जब खंडूरी राज की विदाई के बाद तत्कालीन ‘ डरे हुए लोगों की भीड़

सिखै

Image
सि हमरा बीच बजार दुकानि खोली भैजी अर भुला ब्वन्न सिखीगेन मि देळी भैर जैकि भैजी अर भुला ब्वन्न मा शर्माणूं सिखीग्यों Copyright@ Dhanesh Kothari