उत्तराखण्ड बणौंण हमुन्

अब कैकू नि रोण हमुन
उत्तराखण्ड बणौंण हमुन

उजाड़ कुड़ि पुंगड़्यों तैं
उदास अळ्सी मुखड़्यों तैं
फूल अरोंगि पंखड़्यों तैं
पित्तुन पकीं ज्युकड़्यों तैं
अब कै धै नि लगौण हमुन

रगदा बगदा पाणि तैं
सैंति समाळी जवानि तैं
खर्री खोटी चवानि तैं
बेकार बैठीं ज्वानि तैं
सुदि मुदी नि गवौंण हमुन

कागजुं मा भोर्यां विकास तैं
झूठी सौं अर आस तैं
खणकि जल्मदा विश्वास तैं
बथौं मा छोड़ीं श्वास तैं
धोरा धरम नि लौंण हमुन

पंच पर्याग बदरी केदार तैं
गंगा जमुना कि धार तैं
पंवड़ा जैंति जागर तैं
थौळ् कौथिग त्योहार तैं
द्यो द्यब्तौं जगौंण हमुन

माधो चंदर गबर तैं
सुमन सकलानी वीर तैं
दादा दौलत भरदारी तैं
तीलू रामी सी नारी तैं
अफ्वु मा इना ख्वज्यौण हमुन













Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

Popular posts from this blog

गढ़वाल में क्या है ब्राह्मण जातियों का इतिहास- (भाग 1)

गढ़वाल की राजपूत जातियों का इतिहास (भाग-1)

गढ़वाली भाषा की वृहद शब्द संपदा