सांत्वना

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दो पीढ़ियों का इन्तजार
आयेगा कोई
समझायेगा कि
उनके आ जाने तक भी
नहीं आया था विकास
गांव वाले रास्ते के मुहाने पर

तुम्हारी आस
टुटी नहीं है
इस बुढ़ापे में भी

और तुम
क्यों आस में हो
तुम्हारे लिए तो मैं
खिलौने लाया हूं

सर्वाधिकार- धनेश कोठारी

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