गौं कु विकास

हे जी!
इन बोदिन बल कि
गौं का
विकास का बिगर
देश अर समाज कु
बिकास संभव नि च
हांऽ भग्यानि!
तब्बि त
अब पंचैत राज मा
गौं- खौंळौं मा
बौनसाई नेतौं कि
पौध रोपेणिं च

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

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